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पुर्णिया – सर्टिफिकेट कोर्स प्रशिक्षण कार्यक्रम के 09वें एवं 10वें दिन प्रतिभागियों ने कृषि विज्ञान केन्द्र एवं जिला मृदा परीक्षण प्रयोशाला का किया भ्रमण

भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय में कृषि उपादान विक्रेताओं के लिए समेकित पोषक तत्व प्रबंधन विषय पर 15 दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स के लिए प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान प्रशिक्षण कार्यक्रम 9वें एवं 10वें दिन महाविद्यालय प्राचार्य द्वारा फीडबैक भी लिया गया। साथ ही उन्होंने 1960 के दशक में पहली बार हुए हरित क्रांति की चर्चा करते हुए बताया कि उत्पादकता बढ़ाने में उर्वरकों के महत्व को समझते हुए भारत सरकार ने इसके उपयोग को बढ़ाने के कई प्रयास किए।

नल प्रशिक्षण कार्यक्रम के द्वितीय तकनीकी सत्र में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर से मृदा विशेषज्ञ डॉ॰ यनेन्द्र कुमार सिंह द्वारा अपने व्याख्यान में संरक्षित खेती पर चर्चा करते हुए बताया किस में कितना पोषक तत्व प्रबंधन के साथ साथ खरपतवार में एकीकृत खरपतवार प्रबंधन के माध्यम से संरक्षित खेती को अपनाया जा सकता है।

अपने व्याख्यान में डॉ॰ सिंह द्वारा भूमि अम्लीयता लवणता एवं क्षारीयता सुधार हेतु प्रयोग किये जाने वाले रसायनों, जिप्सम, पाइराइट आदि के साथ ही साथ फसलों का चयन पर भी जानकारी प्रदान की।

डा॰ तपन गोराई मृदा विज्ञान कृषि रसायन विभाग, द्वारा अपने व्याख्यान मे सुदूर संवेदन तकनीक प्रयोग विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की गई। सुदूर संवेदन तकनीक पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि प्राकृतिक संसाधनों के क्षेत्रफल का आंकलन सही जानकारी के साथ ही अच्छी प्रकार से पोषक तत्वों का संतुलित प्रबंधन एवं प्रबंधन में सुदूर संवेदन तकनीक का प्रयोग बहुत ही मददगार साबित हुआ है।

साथ ही साथ बिहार में इस तकनीकी के द्वारा विभिन्न प्रकार की मिट्टियों की पहचान करके खेती युक्त बनाया जा रहा है। इसी क्रम में मृदा वैज्ञानिक डा0 पंकज कुमार यादव द्वारा अपने व्याख्यान में बताया कि ने प्रतिभागियों को मिट्टी के नमूनों से प्रमुख अवयव जैसे पी॰ एच॰, ई॰ सी॰, कार्बनिक पदार्थ का प्रयोगशाला में जाँच बारे में जानकारी प्रदान की गइ। मिट्टी में कार्बन की मात्रा के निर्धारण एवं उसके महत्व पर विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की। डॉ॰ कलाम कृषि महाविद्यालय, किशनगंज मृदा वैज्ञानिक डॉ॰ डी0 के0 वर्मा द्वारा प्रतिभागियों को उसर भूमि की पहचान, क्षारीय मृदा की पहचान एवं लवण युक्त क्षारीय मृदा की पहचान के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान किया।

डॉ॰ कलाम कृषि महाविद्यालय, किशनगंज के मृदा विशेषज्ञ डॉ॰ भोला नाथ साहा सुक्ष्म पोषक तत्वों की विषाक्तता के लक्षण के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की। सूक्ष्म पोषक तत्वों की अत्यधिक या जहरीली मात्रा के परिणाम स्वरूप पत्तियों में समय से पहले पीले रंग और जलना हो सकती है, साथ ही पत्तियों का झड़ना भी हो सकता है। जड़ की व्द्धि को कम कर सकता है, जिससे पौधों में पानी और कई पोषक तत्वों का मिट्टी से आना रूक जाता है।

इस दौरान सभी वैज्ञानिकों ने कई तकनीकि जानकारी दी। जिसमें मुख्य रूप से प्रमुख तत्वों जैसे पी. एच., विद्युत चालकता, कार्वनीक पदार्थ, पोटेशियम एवं फास्फोरस के निर्धारण के बारे में प्रायोग करके दिखाया गया। पी. एच., विद्युत चालकता, निर्धारण हेतु पी. एच. एवं विद्युत चालकता मीटर के क्रियाकलाप एवं पोटेशियम विश्लेषण हेतु फ्लेमफोटोमीटर मशीन तथा फॉसफोरस निर्धारण के लिए रंग विकसित करके स्पेक्ट्रोफोटोमीटर मशीन द्वारा फॉसफोरस का निर्धारण करके प्रतिभागियों का प्रायोगिक कार्य कराया गया।

कृषि उपादान विक्रेताओं के लिए 15 दिवसीय प्रतिभागियों में पूर्णिया, अररिया, कटिहार, किशनगंज एवं मधेपुरा से क्रमषः  जिज्ञासु कुमार, भानु प्रताप, मो॰ शाहजहॉ आलम, सुरेश कुमार ,गुलशन कुमार, गुफरान मंजर, अनिल कुमार चैरसिया, राजन कुमार, किशन कुमार, सानू कुमार, मो॰ अतहर कमाल, रूस्तम कुमार, मो॰ आफताब आलम, मो॰ रईस, मो॰ मोदस्सीर आलम, सुमित कुमार, प्रणव झा, सूरज कुमार यादव, मो॰ वकार, कुन्दन कु॰ भगत, मोती कुमार, प्रहलाद कुमार मंडल, मनीष कुमार, हर्ष कुमार, अरशद अयूब एवं मधेपुरा से रूपेष कुमार, रत्नेश कुमार चैधरी, नीतिश कुमार, अविनाश कुमार, मुकेश कुमार आदि सक्रिय रूप से भाग लेकर विभिन्न प्रकार की जानकारी प्राप्त की।

इस अवसर पर डा॰ जनार्दन प्रसाद, डा0 पंकज कुमार यादव, डा॰ अनिल कुमार, डा॰ तपन गोराई, डा॰ रुबी साहा, डा॰ जी॰ एल॰ चैधरी, डा0 रवि केसरी, प्रियंका कुमारी, अभिनव कुमार, डा॰ शम्भु नाथ एवं कर्मचारियो में मनोज कुमार मिश्रा, श्रवण कुमार एवं चन्दमणि आदि ने अपना सहयोग प्रदान किया।

संवाददाता – शिवाजी राव

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