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पुर्णिया – समेकित पोषक तत्व प्रबंधन विषय के प्रतिभागियों को11वें एवं 12वें दिन प्रशिक्षण के साथ कृषि से संबंधित अन्य विधाओं पर आधारित विडियो फिल्म कराया गया उपलब्ध

संवाददाता – शिवाजी राव

भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय में चलाये जा रहे कृषि उपादान विक्रेताओं के लिए समेकित पोषक तत्व प्रबंधन विषय पर 15 दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स के 11वें एवं 12वें दिन निर्धारित समय सारिणी के अनुसार तकनीकी सत्र का आयोजन नोडल पदाधिकारी-सह-समन्वयक डा0 पंकज कुमार यादव द्वारा किया गया।

तकनीकी सत्र में एवं महाविद्यालय के विभिन्न विषयों के वैज्ञानिकों में मृदा विज्ञान डा0 पंकज कुमार यादव, सिंचाई अनुसंधान केन्द्र, मधेपुुरा से आये मृदा विशेषज्ञ डॉ शशि प्रकाश विश्वकर्मा एवं डॉ विनोद कुमार, विश्वविद्यालय प्राध्यापक-सह-मुख्य वैज्ञानिक, डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पुसा द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को विभिन्न प्रकार के तकनीकी जानकारी प्रदान की गई।

प्राचार्य डा॰ पारस नाथ ने तकनीकी सत्र में बताया कि भारत के 9 करोड़ से अधिक कृषक परिवार अनेक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सात दशक बीत जाने के बाद भी उनकी स्थितियों में उद्योग और सेवा क्षेत्र के तुलना में कोई बहुत बड़ा परिवर्तन नहीें आ सका है।

इसके बाद भी खेती युक्त जमीन घटने के कारण सभी को खाद्यान्न उपलब्ध कराना किसानों के लिए चुनौती बना हुआ है। वर्ष 2020-21 खाद्यान्न उत्पादन 303.34 मिलियन टन हुआ है। आज भी देश के लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है, इसके लिए वैज्ञानिकों ने रात-दिन प्रयास कर विभिन्न प्रकार के तकनीकों का विकास किया है जिससे यह संभव हो पाया है।

अपने 11 वर्ष के कम समय में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर द्वारा कृृषक समृद्धि हेतु डिजिटल इण्डिया के तहत प्रमुख फसलों एवं कृषि से संबंधित अन्य विधाओं पर आधारित 39 विडियो फिल्मों को विकसित किया है जो किसानों के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो रही है। कृषि से संबंधित अन्य विधाओं पर आधारित 39 विडियो फिल्मों के एसडी कार्ड को कृषि उपादान विक्रेताओं के सभी 30 प्रशिक्षणार्थियों को प्राचार्य द्वारा प्रदान किया गया।

डॉ विनोद कुमार, विश्वविद्यालय प्राध्यापक-सह-मुख्य वैज्ञानिक, डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पुसा ने उर्वरक नियंत्रण आदेश, नई यूरिया नीति-2015, नीम कोटेड यूरिया के साथ साथ राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा किसान कल्याण हेतु विभिन्न योजनाओं की विस्तार पूर्वक जानकारी दी।

सिंचाई अनुसंधान केन्द्र, मधेपुुरा से आये मृदा विशेषज्ञ डॉ शशी प्रकाश विश्वकर्मा द्वारा अपने व्याख्यान में अम्लीय मृदा, लवणीय एवं क्षारीय मृदा आदि के निर्माण कारकों के साथ साथ भौतिक, रासायनिक एवं जैविक सुधार की विधियों का विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की गई। साथ ही साथ अम्लीय भूमि में चूने के प्रयोग की मात्रा तथा क्षारीय एवं लवणीय भूमि के सुधार हेतु प्रयोग किये जाने वाले रसायनों, जिप्सम, पाइराइट आदि के बारे में जानकारी प्रदान की गई।

वैज्ञानिक, मृदा विज्ञान डा0 पंकज कुमार यादव सुक्ष्म पोषक तत्वों की विषाक्तता के लक्षण के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की। सूक्ष्म पोषक तत्वों की अत्यधिक या जहरीली मात्रा के परिणामस्वरूप पत्तियों में समय से पहले पीले रंग और जलना हो सकती है, साथ ही पत्तियों का झड़ना भी हो सकता है।

जड़ की वृद्धि को कम कर सकता है, जिससे पौधों में पानी और कई पोषक तत्वों का मिट्टी से आना रूक जाता है। मृदा वैज्ञानिक डा॰ जनार्दन प्रसाद द्वारा मिट्टी का नमूना प्राप्त करने की विधि को विस्तार पूर्वक बताया गया।

डा॰ तपन गोराई द्वारा फसल लगाने से पूर्व डिजिटल एप्प क्रॉप डॉक्टर के प्रयोग के माध्यम से उर्वरकों की गणना के बारे में जानकारी दी गई। डा॰ रूबी साहा द्वारा प्रतिभागियों को उर्वरक प्रयोग की विधि के बारे बताया गया।कृषि उपादान विक्रेताओं के लिए 15 दिवसीय प्रतिभागियों में पूर्णिया, अररिया, कटिहार, किशनगंज एवं मधेपुरा आदि से दर्जनों प्रतिभागी शामिल हुए।

इस कार्यक्रमका संचालन मखाना वैज्ञानिक डा॰ रुबी साहा एवं धन्यवाद ज्ञापन मृृदा वैज्ञानिक डा॰ पंकज कुमार यादव द्वारा किया गया।

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