बिहार सरकार की गलत नीतियों के कारण महाभारत कालीन जरासंध अखाड़ा की छवि हो रही है धूमिल
बिहार सरकार द्वारा राजगीर को पर्यटक स्थल के रूप में लगातार विकसित किया जा रहा है। नेचुरल सफारी में बने ग्लास ब्रिज पर्यटकों को आकर्षित करने की पूरी कोशिश कर रही है। पर्यटक आ भी रहे हैं और खूब लुफ्त उठा रहे हैं।
बिहार सरकार की गलत नीतियों के कारण महाभारत कालीन जरासंध अखाड़ा की छवि हो रही है धूमिल
लेकिन वही सरकार की गलत नीतियों के कारण कुछ ऐसे धरोहर जो हमारी संस्कृति की पहचान रही है, हिन्दू धर्म के लिए पुराने समय से ही पूजनीय व दार्शनिक स्थल रही है, वह बदहाली और उपेक्षा का शिकार हो रही है।
राजगीर प्राचीन काल से ही सभी धर्मों का पूजनीय स्थल रहा है। खासकर हिन्दू धर्म के लिए स्नान कूंड, मनियार मठ, जरासंध अखाड़ा, स्वर्ण भंडार, रथ चक्र निशान वगैरह। लेकिन आज लगभग यह सभी स्थल उपेक्षा का शिकार है।
बात करें जरासंध अखाड़े की तो इसे देखने के लिए लोग देश-विदेश से आते रहे हैं। विदेशी पहलवान भी यहाँ की मिट्टी को माथे से लगाकर आशीर्वाद लेते रहे हैं। आज यह अखाड़ा नेचर सफारी के घेराबंदी के दायरे में है।
लेकिन अफसोस यह है कि जिस तरह घर के गार्जियन के वृद्ध होने पर एक कोने में बैठा दिया जाता है, ठीक उसी प्रकार अखाड़े को एक कोने में समेट दिया गया है।
आॅल इंडिया चन्द्रवंशी युवा एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित राजन चन्द्रवंशी ने बताया कि- अखाड़ा को उपेक्षित करने के पीछे सरकार की गलत नीतियाँ जिम्मेदार है।
जब कोई पर्यटक अखाड़ा का बोर्ड देखकर टिकट लेता है, तब वहाँ की गाड़ी पर्यटकों को बैठाकर सीधे ग्लास ब्रीज के पास छोड़ देती है, जहाँ वे नये प्रोजेक्टों को देखते है। फिर वहाँ से गाड़ी पर्यटकों को लेकर मुख्य द्वार तक छोड़ देती है।
अखाड़ा मेन गेट से लगभग एक से डेढ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जहाँ पर गाड़ी रूकती भी नहीं है और अगर कोई पर्यटक रूककर देखना भी चाहे तो उन्हें यह सुविधा नहीं दी जाती।
बिहार सरकार की गलत नीतियों के कारण महाभारत कालीन जरासंध अखाड़ा की छवि हो रही है धूमिल
सुविधा तो भूल जाइए, पर्यटकों को बताया भी नहीं जाता कि यह महाभारत कालिन जरासंध अखाड़ा है।
मतलब की अगर आपको जरासंध अखाड़ा देखना है तो मेन इंट्री गेट से लगभग एक-डेढ किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा। वही हाल मनियार मठ का है, जिसका बोर्ड पर लिखा शब्द भी ठीक से नहीं देखा जाता।
सरकार जब इतने महत्वपूर्ण स्थानों को अनदेखी कर रही है, जबकि इन्हीं स्थानों ने राजगीर को विश्व स्तर पर पहचान दिया। लेकिन आज उसकी ही पहचान को सरकार खतरे में डाल रही है।
ग्लास ब्रिज जहाँ लोगों की उपस्थिति सरकार द्वारा प्रचार प्रसार किया जा रहा है।